समता संघर्ष सेना एक विचार है एक क्रांति है समता का अभिप्राय ये नही है की हर व्यक्ति समान हो समान तरह से जिए समता का अर्थ तो ये है की हर व्यक्ति को इतने न्यूनतम साधन मिलें की वो समाज मे सम्मान से जी सके सबको समझ सके एवं उंचा उठने की बारे मे सोंच सके आज अगर आप समाज के किसी भी भाग को देखें वो असमानताओं से भरा हुआ है चाहे वो ग्रामीण समाज हो या सहरों का नौकरी पेशा वर्ग कोई १५ लाख का फ़ोन नम्बर ले रहा है तो किसी के पास इलाज के लिया पैसे भी नहीं हैं सहर मे बच्चा १० हजार के कम्प्यूटर गेम खेल रहा है और गांव मे बच्चे के पास पुस्तकें नहीं हैं अगर हम इतिहास पर नजर डालें तो पाएंगे की भारत वर्ष मे सदैव एक सभ्य और सौम्य समाज रहा है प्रत्येक व्यक्ति के पास जीविका का उचित साधन रहा है गुणों की पूजा हुयी है और प्रत्येक व्यक्ति को मौका मिला है चाहे वो अकबर के दरबार मे बीरबल हों या कृष्ण देव राय के यहां तेनाली राम गुणों को सदैव सर्वश्रेष्ठ मना गया है हर व्यक्ति को जीने का सुअवसर मिला है भारत की अर्थव्यवस्था सदैव से ही समाजवादी थी भारत मे समाजवाद का पतन उपनिवेशवाद से प्रारम्भ हुआ लोगों मे घूश लेने देन का चलन हुआ स्वार्थ मे लोग अंधे होने लगे इन्ही सब कारणों के चलते भारत के लोगों को २०० वर्षों तक दासता में जीना पड़ा अब लोगों को समझ आने लगा था कि बिना एकता भाईचारे और सामाजिक मूल्यों के संपन्न आभाव में स्वस्थ समाज कि स्थापना नहीं की जा सकती यह सोंच ही स्वतंत्रता आन्दोलन का कारण बनीं और देश स्वतंत्र हुआ
राष्ट्रीय आन्दोलन से प्राप्त मूल्यों को स्वतंत्र भारत के पराम्भिक वर्षों में सम्मान मिला संविधान मे समानता सुनिश्चित करने का भरपूर प्रयास किया गया प्रारम्भ मे सफलता भी मिली किंतु अंग्रजों के बनाये ढांचे को बदले बिना लालच और स्वार्थ को मिटाना मुश्किल था प्रारंभिक वर्षों की सफलता के चलते इस पर ध्यान नहीं दिया गया आज उसी का नतीजा है की लोग लालच और स्वार्थ मे अंधे हो चुके हैं और ज्यादा से ज्यादा सम्पती कमाना चाते हैं उसके लिया उन्हें चाहे जो देना पड़े यहां तक की आत्मसम्मान इस दौड़ मे जो आगे निकले वो सत्ता और शाशन के बहुत क़रीब जा पहुंचे और शोषक बन गए जो पीछे रहे वो शोषित समाज का हिस्सा बने आज देश मे लोग अपने ही लोगों के गुलाम हैं लोकतंत्र तो केवल छलावा है जब तक आर्थिक समानता नही होती हम वास्तव मे गुलाम हैं
समता संघर्ष सेना का उद्देश्य भारत मे फैली विषमता को खत्म करना है हमारा प्रयास ये नहीं होगा की हम अमीरों से छीन लेंगे और गरीबों में बाँट देंगे हमारा प्रयास ये है की हम बीमार ढांचे में सुधार करेंगे और मानव मूल्यों के आधार पर नई व्यवस्था कायम करेंगे जिसमे प्रत्येक व्यक्ति सम्मान के साथ जी सकेगा और स्वस्थ समाज की स्थापना हो सकेगी क्योंकि इस समाज में लोग परार्थी होंगे
आप यह सोंच रहे होंगे ये मूलभूत बदलाव कैसे होगा तो आप जान लें की यह एक क्रांति होगी ज्ञानोदय की क्रांति और हम इसके लिए प्रयासरत हैं
जय हिंद जय भारत
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अश्वनी कुमार
[सदस्य समता संघर्ष सेना मुन्ना पुरवा कानपुर (देहात)]
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